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वो क्या कहते हैं कि लातों के भूत बातों से नही मानते. कुछ यही हाल है हमारे पडोसी के. पाकिस्तान के. आतंक के बिजली का हर कनेक्शन पाकिस्तान के ट्रांसफार्मर से जुड़ा होता है, और ये पता है सबको दुनिया को और हमे भी. फिर भी न जाने क्यों हम हमेशा इसी बात पर पूरी उर्जा खर्च कर देते हैं ये कि पहले यह सिद्ध किया जाये कि ये पाकिस्तानी है. जो कि बहुत जल्दी ही हो जाता है.
पाकिस्तान, हमारे ही देश का एक भाग जो कि वक्त के साथ हमारा सबसे बड़ा दुश्मन बन बैठा है. कितना अजीब लगता है कि वो आज आतंक का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है. दुःख होता है कि ये वही मेल्हुआ कि पावन धरती पर हो रहा है जहाँ कभी महादेव शिव ने अपना पराक्रम कायम किया था. दुनिया भी सोचती है कि ये भारत का ही भाग है जहाँ सिन्धु और मोहनजोदरो की विश्वविख्यात सभ्यता का जन्म हुआ था. आज हर ऐसा काम जो पूरे दुनिया का ध्यान पाकिस्तान कि ओर खींचता है उसमे अधिकतर दहशतगर्दी से जुड़े मसले ही होते हैं .
हमें तकलीफ होती है अपने इतिहास को ऐसे भविष्य में बदलते हुए. कब रुकेगा ये, कैसे होगा ये सब नही पता लेकिन इतना तो तय है कि हमे अब पाकिस्तान को ऐसा कुछ बताना होगा कि वो समझे वो क्या है और वो क्या कर सकता है. और ये बताना कैसे भी हो सकता है.
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